Bangladesh Violence News: अभी तक 32 लोग मारे जा चुके हैं, 2500 से ज्यादा लोग घायल हैं। बांग्लादेश में स्टूडेंट ने सरकार के खिलाफ Quota System Reform को लेकर काफी ज्यादा विरोध प्रदर्शन किया है। गुरुवार को विरोध प्रदर्शन और भी ज्यादा भयानक हो गया। स्टूडेंट सरकारी वस्तुओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। एक दिन पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बढ़ते संघर्ष को शांत करने के लिए पुलिस प्रशासन को सूचना दी थी।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के शहरो में सैकड़ों विश्वविद्यालय के छात्र कई हफ़्तों से रैलियाँ कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर रबर की गोलियों, आंसू गैस और शोरगुल वाले ग्रेनेड का भी इस्तेमाल किया, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। चलिए इस आर्टिकल के जरिए Quota System Reform क्या हैं? छात्रों की मांग क्या हैं? सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या हैं? इन सभी के बारे में विस्तार से जाने।
छात्रों की मांग क्या हैं?
बांग्लादेश में जो छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वह Quota System Reform प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, इस सिस्टम के तहत आधे से अधिक सरकारी नौकरियां विशिष्ट समूहों के लिए आरक्षित हैं, इन समूह में पाकिस्तान के खिलाफ जिन लोगों ने लड़ाई लड़ी उनके बच्चे भी शामिल हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना हैं कि मेहनत करने के बाद भी आरक्षण के कारण वह सरकारी नौकरी पाने में असमर्थ हो रहे हैं।
Quota System Reform प्रणाली क्या हैं?
बांग्लादेश में यह प्रणाली 1972 में शुरू हुई थी। समय के साथ साथ इसमें काफी बदलाव देखे गए हैं। इस प्रणाली में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों जैसे समूह शामिल हैं, जिसमें महिलाओं और पिछड़े जिलों के लोगों को 10% मिलता है। इसके अलावा 5% स्वदेशी समुदायों को और 1% विकलांगों को आवंटित किया जाता है। यह प्रणाली 2018 में बन्द हो गई थी उस समय 56% सरकारी नौकरियों को रोक दिया गया था।
Quota System Reform प्रणाली से जो छात्र इसमें शामिल नहीं हैं। उनका मानना हैं कि ज्यादा मेहनत करने वाले छात्र उनसे पीछे रह जाते हैं जो कम मेहनत करते हैं और उनको आरक्षण मिलता हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या हैं?
जून 2024 को उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए Quota System Reform प्रणाली के फैसले को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। इस फैसले को प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2018 में रद्द कर दिया था। हालांकि, जब अपील सुप्रीम कोर्ट में करी गई तो उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया और सरकार की चुनौती पर सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की। लेकिन शेख हसीना ने अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए छात्रों की माँगों को पूरा करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद प्रदर्शन और बढ़ गए।
बंदलादेश सरकार ने क्या कहा?
बांग्लादेश के कानून मंत्री अनीसुल हक ने देश में हो रहे हिंसक कार्य को देखते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जब भी वे सहमत होंगे, हम बैठेंगे…यह आज (गुरुवार) दोपहर को भी हो सकता है…सरकार कोटा सुधारवादियों के साथ बातचीत करने के लिए सहमत हो गई है,” इसी बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकरियों द्वारा किए गए नुकसान की निंदा की और सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने तक धैर्य रखने का आह्वान किया।
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