Poultry farm business: मुर्गी पालन करके एक आम किसान एक दो लाख से 5 लाख तक महीने के कमा सकता है। इससे अलग कुछ लोग मुर्गियों की जगह बत्तख तार की और हंस का भी पालन करते हैं ऐसा करके भी वह महीने के लाखों कमाते हैं। किस पक्षी का पालन करना है यह आमतौर पर स्थान और वातावरण पर निर्भर करता है। अगर आप Poultry Farm मुर्गी पालन करना चाहते हो तो आप इससे अंडे, चिकन और पंखों का उत्पादन करके बाजार में बेचकर लाखों की कमाई कर सकते हैं।
Poultry farm business: कम खर्च में कैसे करें मुर्गी पालन
भारत में पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) शुरू करके मुर्गी पालन करना किसानों के लिए बहुत ज्यादा आसान और फायदेमंद तरीका होता है और कम पैसों के साथ इस व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है और अपनी कमाई का साधन बनाया जा सकता है।समय के साथ आप इसे धीरे धीरे ओर बड़ा भी कर सकते हैं। Poultry farm business मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू करने से आपको इसके प्रकार और मुर्गियों के नस्लों के बारे में जानना पड़ेगा।
1. मुर्गीपालन के प्रकार: Types of Poultry farming
भारत में मुर्गी पालन को 2 तरीकों से किया जाता है जैसे पहले बायलर मुर्गीपालन और दूसरा देशी मुर्गी पालन
A. देसी मुर्गीपालन: Poultry farming
देसी मुर्गी पालन में मुर्गियों और मुर्गों को उनके अंडों के उत्पादन के लिए पाला जाता है। इस प्रकार के व्यवसाय में मुर्गों और मुर्गियों को खान-पान सामग्री दी जाती है और बदले में मुर्गियां उन्हें अंडों के रूप में बाजार में बेचने के लिए खाद्य सामग्री देती है। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए सामान्य समय सीमा 18 सप्ताह से 78 सप्ताह के बीच है।
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B. बायलर मुर्गीपालन:Baylar chicken farming
बॉयलर मुर्गी पालन में अलग-अलग प्रकार के मुर्गों और मुर्गियों को उनके कोमल मांस यानी चिकन को बाजार में बेचकर कमाई करने के लिए पाला जाता है इस प्रक्रिया के लिए शुरुआत में मुर्गी के बच्चों को सैकड़ो की तादात सस्ते दामों खरीदकर पिंजौर में छोड़ दिया जाता है और उन्हें रोज खाद्य सामग्री डालकर बड़ा करके मार्केट में महंगे भाव में बेच दिया जाता। यहां तय करने के बाद आपको मैंने करना होगा कि आप किस तरीके से मुर्गियों को पालना चाहते हैं इसके लिए दो सबसे आसान तरीके नीचे दिए गए हैं।
मुर्गीपालन के तरीके: Poultry farm business
मुर्गी पालन करने के लिए किसान ज्यादातर इन 2 तारीख को का उपयोग करते हैं पहले कूड़े की व्यवस्था को चुन सकते हैं जिसमें मुर्गी और मुर्गियां जमीन पर रहते हैं और दूसरे तरीके में पिंजरे की व्यवस्था के साथ पक्षियों को अलग-अलग पिंजरों में रखा जाता है।
1. कूड़ा प्रणाली: Poultry farm business
यह मुर्गी पालन की सबसे ज्यादा काम में ली जाने वाली प्रणाली है जिसमें मुर्गों और मुर्गियों को जमीन पर एक बड़ी तार की दीवार के अंदर छोड़ दिया जाता है और नीचे भूसे या चुरा को बिखेरकर उनका बिस्तर बनाया जाता है, जिससे मुर्गियों के अंडे गिरकर टूटते नहीं है।
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2. पिंजरा प्रणाली: Poultry farm business
इस प्रणाली में आमतौर पर अंडे देने वाली मुर्गियां को अलग-अलग पिंजरों में रखा जाता है। या फिर मुर्गियों को उनके आकर के हिसाब से अलग-अलग समूह में रखा जाता है। अगर आप निर्णय कर चुके हैं कि आपको किस तरीके का और किस प्रणाली से मुर्गी पालन करना है तो अब नीचे यह भी जान लीजिए कि आपको मुर्गे/मुर्गी की किस नस्ल का पालन करना है चाइए।
मुनाफे की गणित को समझिए
यदि आप 1500 मुर्गियों से शुरुआत करते हैं और प्रत्येक मुर्गी से साल के 290 अंडे भी मिलेंगे तो साल के आखिरी में 1500 मुर्गियों के 290-290 मिलाके कुल 4,35,000 अंडे आपको मिलने वाले है। मान लेते हैं कि उनमें से 35000 अंडे आपके बर्बाद भी हो जाते हैं फिर भी 4,00,000 अंडों को अगर आप मार्केट में ₹5 के भाव से बेचते हैं तो आपको लगभग ₹5×4,00,000 = ₹20,00,000 रूपयो का मुनाफा होने वाला हे और जब कीमत 7 रुपये हो तो 7×4,00,000 = INR 28,00,00 रुपए मिलने वाले हे
2. चिकन की नस्ल: Variety of chicken
अगर आप अंडों के लिए व्यवसाय करना चाहते हो तो आपको देसी मुर्गियों का चयन करना चाहिए लेकिन चिकन के लिए आपको बॉयलर मुर्गियां का पालन करना चाहिए आमतौर पर बॉयलर मुर्गियों की दो नस्लों का पालन किया जाता है। उनके बारे में नीचे पड़े।
वाणिज्यिक बायलर चिकन नस्लें: commercial chicken
वाणिज्यिक बॉयलर चिकन वाली नस्लों का पालन सिर्फ मांस निकालने के लिए किया जाता है। 6 से 8 सप्ताह में यह मुर्गी और मुर्गियां बाजार में बिकने के लिए पूर्णता तैयार हो जाते हैं यह नस्ल मुख्य रूप से ज्यादा से ज्यादा मांस पैदा करने के लिए बनाई जाती है।
दोहरे उद्देश्य वाले बायलर चिकन की नस्लें
दोहरे उद्देश्य वाले इन बॉयलर चिकन की नस्लों को मांस और अंडा दोनों का उत्पादन करने के लिए पाला जाता है। इनका शरीर सामान्य बॉयलर मुर्गों के मुकाबले ज्यादा भारी और मजबूत होता है और यह भूरे रंग के अंडे देते हैं।
कुछ प्रसिद्ध दोहरी बायलर चिकन नस्लें हैं:
रोड आइलैंड रेड
ग्रामप्रिया
न्यू हैम्पशायर
सफेद प्लाईमाउथ रॉक
ग्रामप्रिया
मुर्गीपालन सब्सिडी
मुर्गी पालन करने पर सरकार आपको लगभग 25% की सब्सिडी निवेश राशि के ऊपर देती है। और अगर आप अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से हो तो यह सब्सिडी 25 परसेंट से बढ़कर 30% हो जाती है।किसान भाइयों के लिए किसान योजनाएं, मंडी भाव और व्यवसाय के सुझाव के लिए इस वेबसाइट को नीचे दिए गए व्हाट्सएप आइकॉन पर क्लिक करके अपने दोस्तों के साथ शेयर करें